राजस्थान राज्य के उत्तर पूर्व में सिथत शेखावाटी अंचल का जिला झुन्झुनू शिक्षा का एक प्रमुख केन्द्र रहा है। लेकिन समय के बदलाव के साथ जिले में राजकीय महाविधालय को प्रारम्भ की मांग की जाने लगी। इसी क्रम में 1998-99 में राजकीय कन्या महाविधालय की स्थापना की गर्इ। परन्तु सहशिक्षा हेतु कोर्इ महाविधालय नहीं होने के कारण स्थानीय स्तर पर छात्र आन्दोलनों का प्रादुर्भाव होने लगा। श्रीमती वसुन्धरा राजे, पूर्व मुख्यमंत्री ने पद ग्रहण करते ही 100 दिन के कार्यों की घोषणा में ही राजकीय महाविधालय को प्रारम्भ करने की घोषणा कर दी थी। इस सन्दर्भ में तत्कालीन विधानसभाध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा सिंह तथा स्थानीय छात्र नेता�"ं के प्रयासों से 03 अगस्त 2004 को महाविधालय प्रारम्भ हुआ। भवन के अभाव में राजकीय जे.पी. जानू सी. सै. विधालय के वाणिज्य भवन में श्री मनोज कुल्हार, व्याख्याता भूगोल (प्रतिनियुकित पर) द्वारा प्रवेश प्रकि्रया प्रारम्भ की गर्इ। प्रारम्भ में कला, विज्ञान एवं वाणिज्य संकाय में एक एक वर्ग में प्रवेश दिया गया परन्तु छात्र संख्या को देखते हुये कला व विज्ञान संकाय में प्रत्येक में तीन वर्ग कर दिये गये। महाविधालय के लिये पृथक भवन हेतु तत्कालीन जिला कलेक्टर श्री कुंजीलाल मीणा एवं विधानसभाध्यक्ष के प्रयासों के प्रतिफल स्वरूप 06 मर्इ 2005 को तत्कालीन जिला कलेक्टर श्री भवानी सिंह देथा ने राजकीय जे.पी. जानू सी. सै. विधालय की रिक्त भूमि में से 15444 वर्ग गज भूमि आवंटन के आदेश पारित कर दिये। भवन निर्माण हेतु 09 जून 2005 को श्री गौतम आर. मोरारका, मुख्य ट्रस्टी श्री द्वारिकेश शुगर इण्डस्ट्रीज लि. ने अपने पूज्यनीय पिताजी श्री राधेश्याम आर, मोरारका की स्मृति में भूमि पूजन व शिलान्यास कार्यक्रम का आयोजन किया जिसमें तत्कालीन विधानसभाध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा सिंह, उच्च शिक्षा मंत्री श्री घनश्याम तिवाड़ी, कालेज शिक्षा आयुक्त बी.एल. आर्य एवं जिला कलेक्टर श्री भवानी सिंह देथा भी उपसिथत रहे। 26 मार्च 2006 को भवन के उदघाटन समारोह का आयोजन किया गया। तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे, विधानसभाध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा सिंह एवं श्री गौतम आर. मोरारका ने भवन का उदघाटन कर इसे उच्च शिक्षा विभाग, राजस्थान सरकार को सुपुर्द कर दिया। भवन की अनुमानित लागत 2.5 करोड़ रूपये थी।